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Friday, 17 February 2017

सागर के रहस्यों की कहानी

समुद्र को सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अंग्रेजी में  इसे सी (sea) कहते और महासागर को ओशन (ocean) कहते हैं। 

ब्रह्मांड में धरती धूल का कण भी नहीं। मान लो अगर धरती धूल के कण के बराबर है तो सूर्य संतरे के बराबर होगा। आज भी इस धरती पर 70 प्रतिशत से अधिक जल है। धरती के वजन से 10 गुना ज्यादा इस धरती ने जल को वहन... कर रखा है। मानव आबादी धरती के मात्र 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर रहती है उसमें भी अधिकतर पर जंगल, रेगिस्तान, पहाड़ और नदियां हैं। इस 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर ही रहस्यों के अंबार लगे हुए हैं। ऐसे में... समुद्र के 70 से 75 प्रतिशत हिस्सों को तो अभी मानव संपूर्ण रूप से देख भी नहीं पाया है। प्राचीनकाल से लोग सागर की यात्रा करने और इसके रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे हुए हैं।  

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Friday, 6 January 2017

How to Live on 24 Hours a Day


In the book, Bennett addressed the large and growing number of white-collar workers that had accumulated since the advent of the Industrial Revolution. In his view, these workers put in eight hours a day, 40 hours a week, at jobs they did not enjoy, and at worst hated. They worked to make a living, but their daily existence consisted of waking up, getting ready for work, working as little as possible during the work day, going home, unwinding, going to sleep, and repeating the process the next day. In short, he didn't believe they were really living.
Bennett addressed this problem by urging these "salarymen" to seize their extra time, and make the most of it to improve themselves. Extra time could be found at the beginning of the day, by waking up early, and on the ride to work, on the way home from work, in the evening hours, and especially during the weekends. During this time, he prescribed improvement measures such as reading great literature, taking an interest in the artsreflecting on life, and learning self-discipline.
Bennett wrote that time is the most precious of commodities. He said that many books have been written on how to live on a certain amount of money each day. And he added that the old adage "time is money" understates the matter, as time can often produce money, but money cannot produce more time. Time is extremely limited, and Bennett urged others to make the best of the time remaining in their lives.
This book has seen increased appeal in recent years due to the explosion of the self-improvement phenomenon, and the book has much relevance in today's world.


DOWNLOAD-  How to Live on 24 Hours a Day 1
DOWNLOAD-  How to Live on 24 Hours a Day 2

Friday, 4 November 2016

महारानी पद्मिनी-एक ऐतिहासिक उपन्यास

रानी पद्मिनी
चित्तौड़ की रानी थी। रानी पद्मिनि के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी। रानी पद्मिनी बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई।[1] अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर जान दे दी, लेकिन अपनी आन-बान पर आँच नहीं आने दी। ईस्वी सन् १३०३ में चित्तौड़ के लूटने वाला अलाउद्दीन खिलजी था जो राजसी सुंदरी रानी पद्मिनी को पाने के लिए लालयित था। श्रुति यह है कि उसने दर्पण में रानी की प्रतिबिंब देखा था और उसके सम्मोहित करने वाले सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गया था। लेकिन कुलीन रानी ने लज्जा को बचाने के लिए जौहर करना बेहतर समझा।[2]
इनकी कथा कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में पद्मावत ग्रंथ रूप में लिखी है।

Thursday, 27 October 2016

फ़ाहियान की यात्रा विवरण


फ़ाह्यान अथवा फ़ाहियान (अंग्रेज़ी:Faxian) का जन्म चीन के 'वु-वंग' नामक स्थान पर हुआ था। यह बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने लगभग 399 ई. में अपने कुछ मित्रों 'हुई-चिंग', 'ताओंचेंग', 'हुई-मिंग', 'हुईवेई' के साथ भारत यात्रा प्रारम्भ की। फ़ाह्यान की भारत यात्रा का उदेश्य बौद्ध हस्तलिपियों एवं बौद्ध स्मृतियों को खोजना था। इसीलिए फ़ाह्यान ने उन्ही स्थानों के भ्रमण को महत्त्व दिया, जो बौद्ध धर्म से सम्बन्धित थे।
अपने यात्रा क्रम में वह मित्रों के साथ सर्वप्रथम 'रानशन' पहुंचा और यहां लगभग 4,000 बौद्ध भिक्षुओं का दर्शन किया। दुर्गम रास्तों से गुजरता हुआ फ़ाह्यान 'खोतान' पहुंचा। यहां उसे 14 बड़े मठों के विषय में जानकारी मिली। यहां के मठों में सबसे बड़ा मठ 'गोमती विहार' के नाम से प्रसिद्ध था, जिसमें क़रीब 3,000 महायान धर्म के समर्थक रहते थे। गोमती विहार के नज़दीक ही एक दूसरा विहार था। यह विहार क़रीब 250 फुट ऊंचा था, जिसमें सोनाचांदी एवं अनेकों धातुओं का प्रयोग किया गया था। मार्ग में अनेक प्रकार का कष्ट सहता हुआ, अगले पड़ाव के रूप फ़ाह्यान 'पुष्कलावती' पहुंचा। जहां उसने हीनयान सम्प्रदाय के लोगों को देखा। ऐसा माना जाता है कि, यहां बोधिसत्व ने अपनी आंखें किसी और को दान की थीं। फ़ाह्यान ने यहां पर सोने एवं रजत से जड़ित स्तूप के होने की बात बताई है। पुष्पकलावती के बाद फ़ाह्यान तक्षशिला पहुंचा।

चीनी स्रोतों का मानना है कि बोधिसत्व ने यहां पर अपने सिर को काट कर किसी और व्यक्ति को दान कर दिया था। इसलिए चीनी लोग तक्षशिला का शाब्दिक अर्थ 'कटा सिर' लगाते हैं। 

यहां पर भी बहुमूल्य धातुओं से निर्मित स्तूप होने की बात का फ़ाह्यान ने वर्णन किया है। तक्षशिला के बाद फ़ाह्यान 'पुरुषपुर' पहुंचा। यहां पर कनिष्क द्वारा निर्मित 400 फीट ऊंचे स्तूप को उसने अन्य स्तूपों में सर्वोत्कृष्ट बतलाया। फ़ाह्यान ने 'नगर देश' में बने एक स्तूप में बुद्ध के कपाल की हड्डी गड़े होने का वर्णन किया है। मथुरा पहुंचकर फ़ाह्यान ने यमुना नदी के किनारे बने 20 मठों के दर्शन किये। फ़ाह्यान ने मध्य देश की यात्रा की सर्वाधिक प्रशंसा की है। चूंकि वह प्रदेश ब्राह्मण धर्म का केन्द्र स्थल था इसलिए इसे 'ब्राह्मण देश' भी कहा गया है। यात्रा के अगले क्रम में फ़ाह्यान कान्यकुब्जसाकेत और फिर श्रावस्ती पहुंचा। श्रावस्ती में भी स्तूप एवं मठ निर्मित मिले और यहां पर भी स्थित 'जेतवन' को फ़ाह्यान ने 'सुवर्ण उपवन' कहा है। इसके बाद फ़ाह्यान कपिलवस्तुकुशीनगर औरवैशाली से होता हुआ पाटलिपुत्र पहुंचा। पाटलिपुत्र को फ़ाह्यान ने तत्कालीन भारत का सर्वश्रेष्ठ नगर बताया है। यहां पर निर्मित मौर्य सम्राट अशोक के राजप्रसाद को देखकर फ़ाह्यान ने कहा, 'मानो राजप्रसाद देवताओं द्वारा निर्मित हो'। पाटलिपुत्र में ही फ़ाह्यान ने हीनयान एवं महायान से सम्बन्धित दो मठों को देखा तथा अशोक द्वारा निर्मित स्तूप एवं दो लाटों के दर्शन किये। 401 ई. से 410 ई. तक फ़ाह्यान भारत में रहा। इस बीच फ़ाह्यान ने 3वर्ष पाटलिपुत्र में और 2 वर्ष ताम्रलिप्ति (आधुनिक बंगाल का मिदनापुर ज़िला) में बिताए फ़ाह्यान ने अपनी भारत यात्रा के बड़े रोचक विवरण लिखे हैं।

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