चंद्रकांता संतति को एक प्रेम कथा कहा जा सकता है। इस शुद्ध लौकिक प्रेम कहानी को, दो दुश्मन राजघरानों, नौगढ़ और विजयगढ़ के बीच, प्रेम और घृणा का विरोधाभास आगे बढ़ाता है। विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता और नौगढ़ के राजकुमार वीरेंद्र सिंह को आपस मे प्रेम है, लेकिन राजपरिवारों में दुश्मनी है। दुश्मनी का कारण है कि विजयगढ़ के महाराज नौगढ़ के राजा को अपने भाई की हत्या का ज़िम्मेदार मानते हैं। हालांकि इसका ज़िम्मेदार विजयगढ़ का महामंत्री क्रूर सिंह है, जो चंद्रकांता से शादी करने और विजयगढ़ का महाराज बनने का सपना देख रहा है। राजकुमारी चंद्रकांता और राजकुमार वीरेंद्र की प्रमुख कथा के साथ-साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम कहानी भी चलती रहती है। कथा का अंत नौगढ़ के राजा सुरेन्द्र सिंह के पुत्र वीरेंद्र तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चंद्रकांता के परिणय से होता है।......यह इस महान गाथा का दूसरा भाग है ----

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