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Saturday, 24 September 2016

देवी चौधरानी-बंकिमचन्द्रदेवी चौधरानी'

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बंकिम के दूसरे उपन्यास 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी', 'विषवृक्ष', 'कृष्णकांत का वसीयत नामा', 'रजनी', 'चन्द्रशेखर' आदि प्रकाशित हुए। राष्ट्रीय दृष्टि से 'आनंदमठ' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम 'वन्दे मातरम्' गीत प्रकाशित हुआ था। ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया। लोगों ने यह समझ लिया कि विदेशी शासन से छुटकारा पाने की भावना अंग्रेज़ी भाषा या यूरोप का इतिहास पढ़ने से ही जागी। इसका प्रमुख कारण था अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों का अपमान और उन पर तरह-तरह के अत्याचार। बंकिम के दिए ‘वन्दे मातरम्’ मंत्र ने देश के सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम को नई चेतना से भर दिया।
देवी चौधरानी' उनका एक अन्य उपन्यास और 'कमलाकान्त का रोजनामचा' गम्भीर निबन्धों का संग्रह है। एक ओर विदेशी सरकार की सेवा और दूसरी ओर देश के नवजागरण के लिए उच्चकोटि के साहित्य की रचना करना यह काम बंकिम के लिए ही सम्भव था।

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